जीवन ज्वार
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जिस प्रकार समुद्र में ज्वार उठता है और कालान्तर में भाटा आता है। इस पर भी यह सागर के वश की बात नहीं है कि वह उठते ज्वार को भाटे में या भाटे को ज्वार में परिवर्तित कर सके।
उसी प्रकार कामनाओं का ज्वार जब जीवों में उठता है तो उसका विरोध भी प्रायः असम्भव हो जाता है। हाँ, मनुष्य में इस ज्वार का विरोध करने की शक्ति है। जिस प्रकार मनुष्य सागर के ज्वार व भाटे को नौका में बैठ कर झेलने में सक्षम है, उसी तरह वह अपने आत्म-बल द्वारा कामनाओं को वश में करने में भी सक्षम है।
Description
यह बायौलाजी (प्राणी-शास्त्र) का सिद्धान्त है कि प्राणी पैदा होता है, वृद्धि पाता है, सन्तान उत्पन्न करता है, बूढ़ा होता है और निकम्मा हो इस संसार को छोड़ जाता है। यह सिद्धान्त सब जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों में समान है। इस पर भी मनुष्य इतर जीवन-जन्तुओं और वनस्पति-जगत से भिन्न है। क्यों और किस बात में ? यही इस पुस्तक का विषय है।
समुद्र में ज्वार उठता है और कालान्तर में भाटा आता है। इस पर भी यह सागर के वश की बात नहीं है कि वह उठते ज्वार का विरोध कर सके अथवा भाटे में ज्वार ला सके।
Additional information
Weight | 100 kg |
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