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सफलता के चरण

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सफल जीवन के विषय में मतभेद हो सकता है। आर्थिक सम्पन्नता भी सफल जीवन का लक्षण है और मानसिक तथा आत्मिक निर्मलता भी इसका लक्षण कही जा सकती है। यह भी कहा जाता है कि आर्थिक सम्पन्नता से दूसरी बातें भी सम्भव हैं। अतः इस विषय को न छूते हुए सफल जीवन की ओर बढ़ने के पगों पर ही इस पुस्तक को लिखने का यत्न किया गया है।

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Description

‘निर्धनता महान् अभिशाप है।’ इस कथन को रामसुमन ने कभी भी स्वीकार नहीं किया। जब वह दूसरों को यह कहते सुनता था तो वह उन्हें कहा करता था, ‘‘सुख-दुःख, अच्छाई-बुराई, मान-अपमान, ये सब मन की अवस्थाएँ हैं। इनका धन के होने अथवा न होने से कोई सम्बन्ध नहीं है।’’
रामसुमन का यह दृढ़ मत था कि धनियों का धन, बलवानों का बल और प्रभुओं का प्रभुत्व भगवान की कृपा का ही परिणाम है। उसका ही प्रताप सर्वत्र विद्यामान रहता है। अतः मुख्य बात राम की कृपा है, शेष सब गौण हैं। उसके मुख पर प्रायः यह दोहा रहता था—

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