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द्वितीय विश्वयुद्ध
Rs30.00द्वितीय विश्व युद्ध की कहानी वास्तव में एडोल्फ हिटलर की कहानी ही कहनी चाहिए। एडोल्फ हिटलर की मानसिक अवस्था की जन्मदाता जर्मन जाति की मानसिक अवस्था है। Learn More -
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हिन्दी साहित्य का गौरवशाली इतिहास- Farhana Taz (Madhu Dhama)
Rs180.00हिन्दी साहित्य का गौरवशाली इतिहास Learn More -
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धरती और धन
Rs300.00धरती और धन- बिना परिश्रम धरती स्वयमेव धन उत्पन्न नहीं करती। इसी प्रकार बिना धरती (साधन) के परिश्रम मात्र धन उत्पन्न नहीं करता। Learn More -
पंकज
Rs60.00बनते हुए नगरों में, जहाँ महल और अटारियाँ निर्मित होती हैं, वहाँ दो-चार गन्दी बस्तियाँ भी बन जाती हैं। नगर-निर्माण कार्य में जहाँ लाखों रुपये लगाने वाले ठेकेदारों और इमारती सामान बेचने वालों की आवश्यकता रहती हैं, वहाँ मजदूरों की, जो खुदाई करते हैं, ईंटें ढोते हैं, सड़कें कूटतें हैं और अन्य अनेकों इसी प्रकार के कार्य करते हैं, भी आवश्यकता रहती हैं। Learn More -
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ब्रह्मविद्या रहस्य (पंचोपनिषदों का भावार्थ)
Rs100.00ब्रह्मविद्या रहस्य (पंचोपनिषदों का भावार्थ) Learn More -
The Vedic-Way To Health, Beauty, Longevity And Rejuvenation
Rs85.00The Vedic-Way To Health, Beauty, Longevity And Rejuvenation Learn More -
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हिन्दू राष्ट्र
Rs50.00शाश्वत का अर्थ है सदा रहनेवाला, नित्य। जो नित्य है वह सबके लिए है। ज्ञान का मूल स्रोत परमात्मा है और परमात्मा का ज्ञान वेद ज्ञान है। यह ज्ञान का प्राणीमात्र के लिये है। जैसे एक वृक्ष, जिसका सम्बन्ध मूल से कट गया हो, शीघ्र ही सूखने तथा सड़ने लगता है, इसी प्रकार मानव समाज भी, मूल ज्ञान से विच्छिन्न हो सूख तथा सड़ रहा है। मानव-समाज मानवता-विहीन हो रहा है। Learn More -
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सैल्फ डिफैन्स ‘‘चाईनीज कुँग-फू’’तकनीक द्वारा आत्म सुरक्षा’’
Rs150.00सैल्फ डिफैन्स ‘‘चाईनीज कुँग-फू’’तकनीक द्वारा आत्म सुरक्षा’’ Learn More -
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प्रतिशोध
Rs80.00दुनियादारी में साधारणतः और राजनीति में विशेष रूप से यह माना जाता है कि शत्रु मित्र होता है। इस मान्यता पर राज्य और सांसारिक जीव कार्य करते भी देखे जाते हैं। परन्तु क्या यह मान्यता ठीक है ? यही इस पुस्तक का विषय है। Learn More -
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लेखन पर अन्य लेखकों,विचारकों एवं परिचितों के विचार
Rs500.00लेखन पर अन्य लेखकों,विचारकों एवं परिचितों के विचार Learn More -
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Kaun Kehta Hai Akbar Mahan Tha
Rs110.00Kaun Kehta hai Akbar Mahan tha, this is small Hindi edition, Big edition is also available at price of Rs 250- Learn More -
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जमाना बदल गया - भाग 2
Rs150.00इस उपन्यास के प्रथम भाग की भूमिका में हमने संक्षिप्त रूप में यह बताने का यत्न किया था कि भारत की दासता का कारण एक ओर तो बौद्ध-जैन मीमांसा तथा दूसरी ओर नवीन वेदान्त है। जहाँ बौद्ध-जैन मतावलम्बी भारत के जन-मानस को वेदों से पृथक् करने के लिए यत्नशील रहे, वहाँ नवीन वेदान्तियों ने जन-मानस को वेदों से दूर तो नहीं किया, परन्तु वेदों को जन-मानस से दूर कर दिया। हमारा अभिप्राय यह है कि वेदों के स्थान पर उपनिषद और गीता को लाकर प्रतिष्ठित कर दिया। यह एक विडम्बना-सी प्रतीत होती है कि स्वामी शंकराचार्यजी ने अपने प्रस्थानत्रयी के भाष्य में अनेक स्थलों पर वेद-संहिताओं को कर्मकाण्ड की पुस्तकें कह कर उन्हें केवल अज्ञानियों के लिए स्वर्गारोहण के निमित्त बताया है। परन्तु किसी भी स्थल पर संहिताओं का प्रमाण नहीं दिया। एक ढंग से चारों वेदों को, जिनका नव-संकलन श्रीकृष्ण द्वैपायन व्यासजी ने किया था, उन्होंने अनादर की वस्तु बना कर केवल उपनिषदों को ही परम ज्ञान की वस्तु सिद्ध करने का ही प्रयास किया है। Learn More