स्वामी शंकराचार्य ने अपने मात्र 33 वर्ष के जीवन में इस देश में जो भी सांस्कृतिक पुनरुत्थान किया, उसकी व्याख्या ही ‘दिग्विजय’ उपन्यास की विषयवस्तु है। तदपि यह स्वामी शंकराचार्य…
हिन्दुओं में यह किंवदन्ति प्रचलित है कि यदि महाभारत की कथा की जायेगी तो कथा समाप्त होने से पूर्व ही सुनने वालों में महाभारत मच जायेगा। मैं बाल्यकाल से इस…
रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं। विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन…