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बनवासी

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भारत का पूर्वांचल, अरुणोदय का प्रदेश, उसी प्रदेश के वन्य प्रान्तों में अनेक जन-जातियाँ निवास करती हैं। उनके अपने-अपने रीति-रिवाज हैं, परम्परायें हैं, प्रचलन हैं, पूजा अर्चना के विविध प्रकार हैं। सब कुछ उनका अलग ही हो, ऐसी बात भी नहीं है, अन्ततोगत्वा हैं तो वे भारतवासी ही।

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Description

उनके पूर्वज और हमारे पूर्वज तो एक ही थे। सभ्य समझे जाने वाले देश के शेषभाग में आज जो रीति-रिवाज अथवा परम्परायें प्रचलित हैं, वे आदिकाल से चली आ रही हों ऐसी बात भी नहीं है। ज्यों-ज्यों शासक और शासन में परिवर्तन होता गया, इन प्रचलनों में भी उसी अनुरूप और अनुपात में परिवर्तन होते गये। परन्तु पूर्वांचल तक विदेशी शासकों की पहुँच बहुत विलम्ब से हुई। यहाँ तक कि मुगल प्रशासकों को वहाँ तक पहुँच पाने का तो अवसर ही प्राप्त नहीं हुआ। किन्तु अंग्रेज शासकों को वह अवसर शीघ्र सुलभ हो गया। उसका मुख्य कारण कलकत्ता में ईस्ट इंडिया कम्पनी का मुख्य कार्यालय होना माना जा सकता है। भारत में अंग्रेजों का प्रवेश जल मार्ग से हुआ, जबकि मुगलों का प्रवेश थल मार्ग से। मुगल पश्चिम से प्रविष्ट हुए और अंग्रेज़ पूर्व और दक्षिण से। यही कारण है कि पश्चिमोत्तर प्रान्तों में मुस्लिम संस्कृति ने अपनी जड़ें, जमाने का यत्न किया। इसी प्रकार अंग्रेज़ों, की जड़ें दक्षिण-पूर्वी भाग में जमती गईं।

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