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दो भद्र पुरुष

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एक लखपति था और दूसरा मजदूर। एक ठेकेदार था, दूसरा स्कूल-मास्टर। एक नई दिल्ली में बारहखम्भा रोड पर दुमंजिली कोठी पर रहता था, दूसरा बाजार सीताराम के कूचा पातीराम की अँधेरी गली के अँधेरे मकान में। एक मोटर में बैठकर काम पर जाता था तो दूसरा बाइसिकल पर। एक उत्तम विलायती वस्त्र धारण करता था दूसरा खद्दर का पायजामा, कुरता, जाकेट, और टोपी।

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Description

फिर भी दोनों में परस्पर सम्बन्ध था। एक बहनोई था दूसरा साला। यह चमत्कार इस कारण नहीं था कि स्कूल-मास्टर की बहिन सुन्दर थी और वह लक्षाधिपति उस पर मुग्ध हो गया था, प्रत्युत दोनों में यह सम्बन्ध इस कारण बना था कि दोनों एक ही बिरादरी के व्यक्ति थे।
सन् 1905 में लाहौर के एक मोहल्ले में लाला गिरधारीलाल खन्ना का लड़का गजराज जब पन्द्रह वर्ष का हुआ तो उसके पड़ोस में रहने वाले सोमनाथ कपूर की स्त्री सरस्वती गिरधारीलाल के घर आई और उसकी स्त्री से कहने लगी, ‘‘बहिन ! लक्ष्मी के सिर पर हाथ रख दो तो हमारा बोझा हल्का हो जाय।’’

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Weight 100 kg
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