पंकज
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बनते हुए नगरों में, जहाँ महल और अटारियाँ निर्मित होती हैं, वहाँ दो-चार गन्दी बस्तियाँ भी बन जाती हैं। नगर-निर्माण कार्य में जहाँ लाखों रुपये लगाने वाले ठेकेदारों और इमारती सामान बेचने वालों की आवश्यकता रहती हैं, वहाँ मजदूरों की, जो खुदाई करते हैं, ईंटें ढोते हैं, सड़कें कूटतें हैं और अन्य अनेकों इसी प्रकार के कार्य करते हैं, भी आवश्यकता रहती हैं।
Description
यह एक प्रचलित उक्ति बन गई है कि नगर-निर्माण कार्य में इन अल्प आय वाले मजदूरों के लिए बनी गन्दी बस्ती के लिये पूँजी-पति, ठेकेदार अथवा व्यापारी उत्तरदायी हैं। यह बात ठीक भी प्रतीत होती है। महल बनाने वालों के मस्तिष्क में कभी यह विचार तक नहीं आता कि दिन भर मेहनत-मजदूरी करने वाले प्राणी को भी सर्दी-होने से बचने, आँधी-वर्षा में सिर छिपाने और फिर रात के समय कहीं एकान्तवास की आवश्यकता रहती है।
Additional information
Weight | 100 kg |
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