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प्रवंचना

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एक विख्यात कवि का कहना है

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Description

इस पद्यांश में कवि क्या कहना चाहता था, यह स्पष्ट नहीं होता, फिर भी जो कुछ इसमें समझ में आता है वह अति गम्भीर सत्य है। न यूनान मिटा है, न मिस्र, रोम भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। इन देशों में मनुष्य भी अभी भी रहते हैं और अपने को यूनान आदि देश का रहने वाला मानते हैं। उनमें अभी भी अपने देश के लिए भक्ति और प्रेम की भावना विद्यमान है। उक्त वाक्य के यदि शाब्दिक अर्थ लिए जाएँ तो पद्यांश निरर्थक-सा प्रतीत होता है। फिर भी कवि के उक्त कथन में तथ्य है।

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