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भारतवर्ष का संक्षिप्त इतिहास

200.00

रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं। विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये। वेद, उपनिषद् तथा दर्शन शास्त्रों की विवेचना एवं अध्ययन अत्यन्त सरल भाषा में प्रस्तुत कराना गुरुदत्त की ही विशेषता है।

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Description

मनीषि स्व० श्री गुरुदत्त ने इस ग्रन्थ की रचना लगभग सन् 1979-80 में की। इसकी पाण्डुलिपि को पढ़ने से तथा उनके जीवनकाल में उनसे परस्पर वार्तालाप करने से यह आभास मिलता था कि वे भारतीय स्रोतों के आधार पर भारत वर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखना चाहते थे। पाश्चात्य इतिहास-लेखकों की पक्षपातपूर्ण एवं संकुचित दृष्टि से लिखे गए इतिहास की सदा उन्होंने भर्त्सना की। वे बार-बार यही कहा करते थे कि ‘‘भारतवर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखा जाना चाहिए।’’
अन्यान्य ग्रंन्थों की रचना करते हुए उन्होंने इतिहास पर भी लेखनी चलानी आरम्भ की और मनु आरम्भ कर राम जन्म तक का ही वे यह प्रामाणिक इतिहास लिख पाए थे कि काल के कराल हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया।

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