भाग्य का सम्बल
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भाग्य अवसर प्रदान करता है परन्तु भाग्य स्वमेव लँगड़ा होता है।
पुरुषार्थ के बिना सफलता नहीं मिलती।
भाग्य हमारे अधीन नहीं, और पुरुषार्थ हमारे अधीन है। जब पुरुषार्थ और भाग्य दोनों अनकूल हो जाते हैं तो सफलता मिलती है।
Description
दमयन्ती अपने पति के दफ्तर लौटते समय घर की ड्योढ़ी में आ खड़ी हुआ करती थी। यह उसका नित्य का काम था। कभी उसके पति को लौटने में विलम्ब हो जाता तो उसे एक-एक घंटा-भर प्रतीक्षा करनी पड़ जाती थी। आस-पड़ोस की स्त्रियाँ उसको इस प्रकार किसी की प्रतीक्षा में खड़े देखकर मुस्कुराया करती थीं।
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