अस्ताचल की ओर – भाग 3
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श्री गुरुदत्त प्रथम उपन्यास ‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं।
विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद्, दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये।
Description
‘अस्ताचल की ओर’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है। यह इतिहास है भारत के सांस्कृतिक पतन का।
आजकल के बुद्धिमान इतिहासज्ञ यह मानते हैं कि सम्राट अशोक का काल भारत का अति उज्जवल कीर्तिमान काल रहा है और अशोक के उपरान्त समुद्रगुप्त का काल भारत का कीर्तिमान काल रहा है। हम उनकी इस मान्यता से सहमत नहीं। किसी भी देश अथवा जाति का कीर्तिमान और उज्जवल काल वह होता है, जब उस काल में मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ कला अर्थात् बुद्धि सुचारू रूप से कार्य कर रही हो।
Additional information
Weight | 100 kg |
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