स्वाधीनता के पथ पर
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टन……टन……टन……..टन……..। मन्दिर का घण्टा बज रहा था। देवता की आरती समाप्त हो चुकी थी। लोग चरणामृत पान कर अपने-अपने घर जा रहे थे। श्रद्धा, भक्ति, नमृता और उत्साह में लोग आगे बढ़कर, दोनों हाथ जोड़, मस्तक नवा, देवता को नमस्कार करते और हाथ की अंजुली बना चरणामृत के लिए हाथ पसारते थे। पुजारी रंगे सिर, बड़ी चोटी को गाँठ दिये, केवल रामनामी ओढ़नी ओढे़, देवता के चरणों के निकट चौकी पर बैठा अरघे से चरणामृत बाँट रहा था।
Description
पुजारी जब चरणामृत देता था तो आँखें नीची किये रखता था। उसकी दृष्टि अधिक-से-अधिक लोगों के हाथों पर ही जाती थी। धीरे-धीरे सब लोग चले गये। पुजारी यद्यपि लोगों को देख नहीं रहा था, पर अनुभव कर रहा था कि उसका काम समाप्त हो रहा है। अकस्मात् उनकी दृष्टि एक स्त्री के हाथों पर पड़ी। ये हाथ भी चरणामृत पाने के लिए ही आगे बढ़े थे। इन हाथों को देखते ही पुजारी के हाथ काँपने लगे। अरघा चरणामृत सहित उसके हाथ से याचक के हाथों में गिर गया।
Additional information
Weight | 100 kg |
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