पड़ोसी
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प्रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं।
विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये।
Description
लखनऊ से बनारस के लिए पैसेंजर गाड़ी प्रातः आठ बजे छूटती थी। दिसम्बर के महीने में क्रिसमस की छुट्टियों में पूर्व की ओर जा रहे विद्यार्थियों को वह गाड़ी सबसे उपयुक्त रहती थी। उस गाड़ी से जाने पर स्टेशनों से दूर गाँवों को जाने वालों को दिन रहते घर पहुँचने का सुभीता रहता था। यही कारण था कि चौबीस दिसम्बर के प्रातःकाल भारी संख्या में लड़के अपना-अपना सामान उठाए स्टेशन के मुख्य द्वार से उस प्लेटफार्म को जाते दिखाई दिए जिस पर बनारस की गाड़ी खड़ी थी।
Additional information
Weight | 100 kg |
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