भाग्य चक्र
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जनवरी सन् 2000 में प्रकाशित ‘‘भाव और भावना’’ में श्री गुरुदत्त जी ने मुख्य-मुख्य राजनीतिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन घटनाओं का अपने मन पर प्रभाव तथा प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन घटनाओं ने किस प्रकार उन्हें राजनीतिक शिक्षा दी तथा किस प्रकार उनके जीवन को एक कर्मयोगी का जीवन बनाया, संस्मरणात्मक शैली में श्री गुरुदत्त जी ने स्पष्ट किया था।
Description
जनवरी 2002 में प्रकाशित’ भाव और भावना’ में श्री गुरुदत्त जी ने मुख्य-मुख्य राजनीतिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन घटनाओं का अपने मन पर प्रभाव तथा प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन घटनाओं ने किस प्रकार उन्हें राजनीतिक शिक्षा तथा किस प्रकार उनके जीवन को कर्मयोगी का जीवन बनाया, संस्मरणात्मक शैली में गुरुदत्त जी ने स्पष्ट किया था।
प्रस्तुत रचना ‘भाग्य-चक्र’ भी उनके संस्मरणों का संग्रह है। जीवन में कुछ ऐसे व्यवहार होते हैं, जिनके पीछे कोई सुविचारित योजना नहीं होती, जिनके लिए कुछ प्रयास भी नहीं किया जाता और यदि कुछ प्रयास किया भी जाता है तो फल प्रयास के अनुकूल नहीं मिलता।
यही भाग्य-चक्र है। संस्मरणात्मक शैली में उपन्यास से भी बढ़कर रोचक।
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