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भाव और भावना

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गुरुदत्त जी ने एक बार किसी गोष्ठी में कहा था-मैंने प्रत्येक समस्या को अपने लिये एक चुनौती माना है। ‘भाव और भावना’ उनके ऐसे संस्मरणों का संग्रह है। जिनसे उनके जीवन को दिशा मिली है। समस्याओं का विश्वलेषण कर उनका समाधान उन्होंने ढूंढ़ा है और अपना मार्ग प्रशस्त किया है।

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Description

हिन्दी जगत् के सुप्रसिद्ध विचारक एवं लेखक श्री गुरुदत्त न केवल उपन्यासकार के रूप में लोकप्रिय हैं प्रत्युत राजनीति एवं भारतीय वाङ्मय के टीकाकार के रूप में भी उनकी पर्याप्त ख्याति है। इन विषयों पर उनके लिखे साहित्य का परिचय हमारे पाठकों को समय-समय पर मिलता रहा है।

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