विकार
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भारतवर्ष में स्वराज्य-प्राप्ति के उपरान्त भौतिकवादियों का नया युग आया है। यों तो इसका बीजारोपण अंग्रेजी राज्य-काल में ही हो गया था, परन्तु इसका विस्तार स्वराज्य-प्राप्ति के उपरान्त ही हुआ है। आधार में भौतिकतावादी शिक्षा होने से यह विस्तार हुआ है।
Description
मास की पहली तारीख थी। शनिवार का दिन था और समय लगभग चार बजे सायंकाल। एक स्त्री गर्भभार से लदी हुई दिल्ली परिवहन की 29 नम्बर बस से वैस्ट पटेलनगर के स्टैंड पर उतरी। उसने एक हाथ में एक पुस्तक, दो कापियाँ और पैन्सिल पकडी़ हुई थीं। दूसरे हाथ में जनाना छाता और पर्स था। बस से उतर, धीरे-धीरे चलती हुई वह ब्लाक नम्बर 63 में एक मकान के सम्मुख आ खड़ी हुई। बस स्टैंट से यह मकान लगभग एक फर्लांग के अन्तर पर था और इसी में वह हॉफ गई थी। अभी तो उसे ऊपर की मंजिल पर भी चढ़ना था। इस कारण सीढ़ियों के सामने, छाता बन्द कर उसका आश्रय लेकर वह खड़ी हो गई। लगभग दो मिनट में वह श्वास स्थिर कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। छाते का आश्रय लेती हुई, ऊपर चढ़कर वह पहली मंजिल पर पहुँच, एक कमरे के द्वार के बाहर जा खाड़ी हुई।
Additional information
Weight | 100 kg |
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