वीर पूजा
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वीर पुरुषों के बलिदान की कहानी सदा से प्रेरणा का स्त्रोत रही है। मैजिनीगैरीबाल्डी आदि नरपुंगवों की वीर गाथाएँ आज भी विश्व मानव की दमनियों में ऊष्ण रक्त का संचार कर उसे उद्घेलित और उत्साहित करती रहती हैं। यही स्थिति भारतीय क्रान्तिवीरों और बलिदानियों की है। इसी उद्देश्य को सम्मुख रखकर प्रस्तुत पुस्तक का प्रणयन किया गया है।
Description
भारत देश, राज्य अर्थात् ‘भारत माता’ की परतंत्रता की श्रृंखला तोड़ने के लिए जिन नरपुंगवों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने जीवन-प्राण तिल-तिल कर आहुति के रूप में अर्पित कर दिये उनकी बलिदान-गाथा का गान कराने में स्वातंत्र्योत्तर काल के ‘नेता’ विशेष रूप से, और जन-साधारण सामान्य रूप से, उपेक्षा का भाव रखते हुए जघन्य अपराध कर रहे हैं। नेता अर्थात् सत्तासीन पक्ष निम्न कोटि का स्वार्थी और अहंकारी सिद्ध हुआ और जन- साधारण तो भुल्लकड़ स्वभाव का माना ही जाता है उसे नेता नाम के अभिनेता ने जैसा-सिखा-पढ़ा-रटा वह तोते की भाँति उसे रटने लगता है। यह आज प्रयत्यक्ष देखने में आ रहा है। भारत की वर्तमान अवनति का मूल कारण है-अपने मूल से कटना। इसके निवारण की दिशा में ही यह छोटा-सा प्रयास है।
Additional information
Weight | 100 kg |
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