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सदा वत्सले मातृभूमे

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मातृभूमि से अभिप्राय हिमालय पर्वत, गंगा-यमुना इत्यादि नदियाँ, पंजाब, सिंध, गुजरात, बंगाल इत्यादि भू-खंड नहीं, वरन् यहीं की समाज है। अतः देश-भक्ति वस्तुतः समाज की भक्ति को कहते हैं।
भारत भूमि की जो विशेषता है, वह इस देश में सहस्रो-लाखों वर्षों में उत्पन्न हुए महापुरुषों के कारण है; उन महापुरुषों के तप, त्याग, समाज-सेवा तथा बलिदान के कारण है; उनके द्वारा दिए ज्ञान के कारण है।

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Description

हे वत्सलमयी मातृभूमे ! तुम्हें नमस्कार करता हूँ। यह शरीर तुम्हारे निमित्त अर्पित है।
यह तो स्पष्ट हो चुका है कि हिंदू संस्कृति, हिंदू मान्यताओं तथा भारतीय ज्ञान-विज्ञान को नष्ट-भ्रष्ट करने के लिए अंग्रेजों ने षड्यन्त्र रचे। अंग्रेजों ने देखा था कि एक हज़ार साल तक गुलाम रहते हुए भी हिन्दू ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्ति करने का प्रयास नहीं छोड़ा। अंग्रेजों के काल में तो आंदोलन अति उग्र हो गया था। यहाँ तक कि आंदोलन इंग्लैंड की भूमि तक पहुंच गया था।

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