सुमति
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भाग्य और पुरुषार्थ में क्या प्रबल है ? यह विवाद नया नहीं है। यह आदिकाल से चला आता है। दोनों पक्ष-विपक्षों में प्रमाण तथा युक्तियाँ दी जाती हैं। कदाचित् यह विवाद अनन्तकाल तक चलता ही रहेगा। क्योंकि मनुष्य की दृष्टि अतिसीमित है। इसकी दृष्टि की सीमा जन्म और मरण से पीछे अथवा आगे नहीं जाती। जो लोग केवल दृष्टि पर भरोसा करते हैं, वे जीवन के बहुत से रहस्यों से अनभिज्ञ रह जाते हैं। यह भाग्य और परिश्रम का विवाद उनका ही खड़ा किया हुआ है।
Description
नई दिल्ली में गुरुद्वारा रोड स्थित एक कोठी के एक कमरे में बैठा हुआ एक युवक एक निमन्त्रण-पत्र पढ़ रहा था। निमन्त्रण-पत्र इस प्रकार था :
‘‘श्रीमती तथा श्रीमान कश्मीरीलाल आपको सपरिवार, अपने सुपुत्र प्रोफेसर सुदर्शनलाल के, राव राजा हिम्मत सिंह की सुपुत्री सौभाग्यकांक्षिणी सुमति के साथ शुभविवाह के अवसर पर आमंत्रित करते हैं। कृपया निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार पधारकर कृतार्थ करें।’’
Additional information
Weight | 100 kg |
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