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स्वराज्य दान

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‘‘भूल जाना मनुष्यता की बात नहीं। मनुष्यों में और अन्य प्राणियों में स्मरण-शक्ति का ही अन्तर है। मनुष्य तो उन्नति कर रहा है किन्तु अन्य प्राणी उन्नति नहीं कर रहे हैं। इसका कारण स्मरण-शक्ति ही है। पूर्व अनुभवों का मनन करके ही

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‘भूल जाना मनुष्यता की बात नहीं। मनुष्यों में और अन्य प्राणियों में स्मरण-शक्ति का ही अन्तर है। मनुष्य तो उन्नति कर रहा है किन्तु अन्य प्राणी उन्नति नहीं कर रहे हैं। इसका कारण स्मरण-शक्ति ही है। पूर्व अनुभवों का मनन करके ही विचारों को आगे ले जाया जा सकता है। अन्य प्राणी अनेक अनुभवों को भूल जाते हैं, इससे वे अपनी भूलों को सुधार नहीं सकते। मनुष्य अपनी देखी-सुनी, अनुभव अथवा विचार की हुई बातों का स्मरण करके ही उन्नति के मार्ग पर चलता आ रहा है। लिखने की विद्या का आविष्कार भी तो स्मरण-क्रिया को और अधिक स्थायी करने के लिए ही किया गया है।
‘‘यह सब जानते हुए भी आप मुझे क्यों कहते हैं कि जो अन्याय और अत्याचार मुझ पर मेरे भाई-बन्धुओं पर हुए हैं, मैं उनको भूल जाऊँ ? भूल जाऊँगा फिर उनकी पुनरावृत्ति कैसे की जा सकेगी ?’’

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