हिन्दू राष्ट्र
₹100.00
शाश्वत का अर्थ है सदा रहनेवाला, नित्य। जो नित्य है वह सबके लिए है।
ज्ञान का मूल स्रोत परमात्मा है और परमात्मा का ज्ञान वेद ज्ञान है। यह ज्ञान का प्राणीमात्र के लिये है।
जैसे एक वृक्ष, जिसका सम्बन्ध मूल से कट गया हो, शीघ्र ही सूखने तथा सड़ने लगता है, इसी प्रकार मानव समाज भी, मूल ज्ञान से विच्छिन्न हो सूख तथा सड़ रहा है। मानव-समाज मानवता-विहीन हो रहा है।
Description
हिन्दू तथा हिन्दुस्तान पर जो कुछ मैं लिख चुका हूं, उस सबके लिखने के उपरान्त पुनः इस विषय पर लिखने की आवश्यकता इस कारण अनुभव हुई है कि जानबूझकर, आंखें मूंदे हुओं को बलपूर्वक पकड़कर झकझोरना है। इसी दिशा में कुछ करने की इच्छा से यह मेरा प्रयास है।
Additional information
Weight | 100 kg |
---|---|
Bookpages | |
author name | |
book_id |
Reviews
There are no reviews yet.