‘दासता के नये रूप’ में उपन्यासकार ने स्वातन्त्र्योपलब्धि के अनन्तर देशवासियों की दास मनोवृत्ति और पतित आचरण का विश्लेषण किया है। इस दिशा में उनकी यह अत्यन्त सफल अभिव्यक्ति कही…
एक बार हमारे मुहल्ले के एक मन्दिर में महाभारत की कथा रखायी गयी। यह वे दिन थे, जब आर्यसमाज और सनातनधर्म सभा में शास्त्रार्थों की धूम थी। मुहल्ले के कुछ…
भारतवर्ष में स्वराज्य-प्राप्ति के उपरान्त भौतिकवादियों का नया युग आया है। यों तो इसका बीजारोपण अंग्रेजी राज्य-काल में ही हो गया था, परन्तु इसका विस्तार स्वराज्य-प्राप्ति के उपरान्त ही हुआ…
भाग्य और पुरुषार्थ में क्या प्रबल है ? यह विवाद नया नहीं है। यह आदिकाल से चला आता है। दोनों पक्ष-विपक्षों में प्रमाण तथा युक्तियाँ दी जाती हैं। कदाचित् यह…
युवावस्था से ही राजनीतिज्ञों से सम्पर्क, क्रान्तिकारियों से समीप का सम्बन्ध तथा इतिहास का गहन अध्ययन-इन सब की पृष्ठभूमि पर श्री गुरुदत्त ने कुछ उपन्यास लिखे हैं।
‘‘भूल जाना मनुष्यता की बात नहीं। मनुष्यों में और अन्य प्राणियों में स्मरण-शक्ति का ही अन्तर है। मनुष्य तो उन्नति कर रहा है किन्तु अन्य प्राणी उन्नति नहीं कर रहे…
टन......टन......टन........टन........। मन्दिर का घण्टा बज रहा था। देवता की आरती समाप्त हो चुकी थी। लोग चरणामृत पान कर अपने-अपने घर जा रहे थे। श्रद्धा, भक्ति, नमृता और उत्साह में लोग…