नास्तिक
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‘‘पिताजी ! प्रज्ञा कहां है ?’’
‘‘अपनी ससुराल में।’’
‘‘तो आपने उसका विवाह कर दिया है ?’’
‘‘नहीं, मैंने नहीं किया। उसने स्वयं कर लिया है, इसी कारण तुम्हें सूचना नहीं दी।’’
Description
पुत्र उमाशंकर यह सुन विस्मय में पिता का मुख देखने लगा। फिर उसने कहा, ‘‘परन्तु उसके पत्र तो आते रहे हैं। कल जब मैं लौज से एयर-पोर्ट को चलने लगा था, उस समय भी उसका एक पत्र मिला था।’’
‘‘क्या लिखा था उसने ?’’
Additional information
Weight | 100 kg |
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