-
- ₹700.00
- खण्ड 5 – परित्राणाय साधूनाम (सम्पूर्ण महाभारत कथा उपन्यास रूप में)
- खण्ड 5 - परित्राणाय साधूनाम (सम्पूर्ण महाभारत कथा उपन्यास रूप में)
- Add to cart
-
- ₹400.00
- खण्ड 6 – स्वाधीनता के पथ पर, पथिक (राजनीतिक श्रृंखला के उपन्यास)
- स्वाधीनता के पथ पर, पथिक (राजनीतिक श्रृंखला के प्रथम उपन्यास)
- Add to cart
-
- ₹400.00
- खण्ड 7 – स्वराज्यदान, दासता के नए रूप – राजनीतिक श्रृंखला
- स्वराज्यदान, दासता के नए रूप (राजनीतिक श्रृंखला की दो कढ़िया)
- Add to cart
-
- ₹400.00
- खण्ड 8 – देश की हत्या, विश्वासघात (राजनीतिक श्रृंखला के उपन्यास)
- देश की हत्या, विश्वासघात (राजनीतिक श्रृंखला के अन्तिम उपन्यास)
- Add to cart
-
- ₹400.00
- खण्ड 9 – प्रभातवेला, कुमार सम्भव, उमड़ती घटाएं (पौराणिक उपन्यास)
- प्रभातवेला, कुमार सम्भव, उमड़ती घटाएं (पौराणिक उपन्यास)
- Add to cart
-
- ₹540.00
- खण्डहर बोल रहे हैं
- ‘‘सब गधे इकट्ठे हे गये हैं।’’ शहंशाह अपनी रिश्ते में अम्मी, परन्तु मन से प्रेमिका और प्रत्यक्ष में बहन महताब बेगम को कह रहा था। शहंशाह अजमेर से अभी-अभी लौटा…
- Add to cart
-
- ₹600.00
- गंगा की धारा
- हमारी यह मान्यता रही है कि उपन्यास-सम्राट् स्व० श्री गुरुदत्त कालातीत साहित्य के स्रष्टा थे। साहित्य का, विशेषतया उपन्यास साहित्य का, सबसे बड़ा समालोचन समय होता है। सामान्यता यह देखने…
- Add to cart
-
- ₹200.00
- गुण्ठन
- 8 दिसम्बर 1894 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में जन्मे श्री गुरुदत्त हिन्दी साहित्य के एक देदीप्यमान नक्षत्र थे। वह उपन्यास-जगत् के बेताज बादशाह थे। अपनी अनूठी साधना के बल पर…
- Add to cart
-
- Out of Stock
- ₹0.00
- गृह संसद Currently Under Print
- रविवार मध्याह्न के भोजनोपरान्त सन्तराम का परिवार कोठी के ड्राइंग रूम में एकत्रित हो गया। सन्तराम ने घर में यह प्रथा चला रखी थी कि प्रति सप्ताह रविवार के दिन…
- Read more
-
-
- ₹300.00
- घर की बात
- आजीवन साहित्य साधना में लीन रहने वाले गुरूदत्त का नाम अजर व अमर है; जिन्होंने अपने उत्कृष्ट साहित्य से अपना व भारत भूमि का नाम विदेशों में आलौकिक किया और…
- Add to cart
-
- ₹80.00
- चंचरीक
- कमला निर्धन माता-पिता की लड़की थी। उसके पिता एक धनी सेठ के घरेलू नौकर थे, इस कारण ये भी धनियों के एक मुहल्ले में रहते थे। साधु के मालिक लाला…
- Add to cart
-
- ₹30.00
- जगत की रचना
- यह जगत एक अत्यन्त आश्चर्यमय, विस्मयजनक और रहस्ययुक्त घटना है। यह कितना बड़ा है, इसमें क्या-क्या पदार्थ हैं, वे पदार्थ कहां कहां है, कैसे बने वे, और कब बने और…
- Add to cart