धरती और धन
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धरती और धन- बिना परिश्रम धरती स्वयमेव धन उत्पन्न नहीं करती। इसी प्रकार बिना धरती (साधन) के परिश्रम मात्र धन उत्पन्न नहीं करता।
Description
परिश्रम से पूँजी की कमी दूर हो सकती है परन्तु यदि धरती रुपी पूँजी के साथ परिश्रम का संयोग हो जाए तो धरती से प्राप्त उस धन से अपने प्रयोग मात्र के लिए कुछ राशि निकाल शेष को पूँजी में परिवर्तित कर दिया जाए तो बंजर धरती धन भी धन उगलने लगती है। इसी विषय पर एक अत्यंत रोचक एवं प्रेरणाप्रद कथानक।
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