रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं। विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन…
गुरुदत्त जी ने एक बार किसी गोष्ठी में कहा था-मैंने प्रत्येक समस्या को अपने लिये एक चुनौती माना है। ‘भाव और भावना’ उनके ऐसे संस्मरणों का संग्रह है। जिनसे उनके…
जीवात्मा कर्म करने में स्वतन्त्र है, परन्तु किये हुए कर्म का फल मिलना भी अवश्यम्भावी है। यह ईश्वरीय नियम है। जो राज्य नागरिकों के निजी जीवन को नियम में बाँधने…
भारतीय साहित्यकार में श्री गुरुदत्त जी का नाम अजर व अमर है। इनके द्वारा लिखे गये उपन्यास कथानक व रोचकता की दृष्टि से अत्यन्त ही सफल हैं। अपने प्रथम उपन्यास…
हिन्दी के महान साहित्यकारों में से एक, श्री गुरुदत्त की कलम से निकले 250 ग्रन्थों में से एक सशक्त ऐतिहासिक उपन्यास है महाकाल ! इस घटना प्रधान उपन्यास के भावो…
उपन्यासकार श्री गुरुदत्त जी का जीवन विगत 94 वर्षों से सतत साधनारत रहने के फलस्वरूप तपकर ऐसा कुन्दन बन गया है कि जिसकी तुलना अब किसी अन्य से नहीं अपितु…