तक्षशिला विश्वविद्यालय में वसंत महोत्सव मनाया जा रहा था। फाल्गुन सुदी पञ्चमी से यह उत्सव आरम्भ होकर दस दिन तक चला करता था। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी-गण, अध्यापक-वर्ग और देश-विदेशों से…
मातृभूमि से अभिप्राय हिमालय पर्वत, गंगा-यमुना इत्यादि नदियाँ, पंजाब, सिंध, गुजरात, बंगाल इत्यादि भू-खंड नहीं, वरन् यहीं की समाज है। अतः देश-भक्ति वस्तुतः समाज की भक्ति को कहते हैं। भारत…
सामाजिक व्यवहार हैं खान-पान, विवाह-शादी, इकट्ठे सभा-जलसे मनाना, परस्पर इच्छानुसार मित्र-शत्रु स्वीकार करना; और मज़हब है देवी-देवताओं, पीर पैगम्बर को मानना तथा पूजा-पाठ, नमाज पढ़ना इत्यादि। ये व्यक्ति की निजी…
प्रस्तुत पुस्तक में सरदार बल्लभभाई पटेल के व्यक्तित्व एवं विचारों का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने…
भाग्य और पुरुषार्थ में क्या प्रबल है ? यह विवाद नया नहीं है। यह आदिकाल से चला आता है। दोनों पक्ष-विपक्षों में प्रमाण तथा युक्तियाँ दी जाती हैं। कदाचित् यह…
‘‘भूल जाना मनुष्यता की बात नहीं। मनुष्यों में और अन्य प्राणियों में स्मरण-शक्ति का ही अन्तर है। मनुष्य तो उन्नति कर रहा है किन्तु अन्य प्राणी उन्नति नहीं कर रहे…
टन......टन......टन........टन........। मन्दिर का घण्टा बज रहा था। देवता की आरती समाप्त हो चुकी थी। लोग चरणामृत पान कर अपने-अपने घर जा रहे थे। श्रद्धा, भक्ति, नमृता और उत्साह में लोग…
‘हिन्दुत्व की यात्रा’ नाम से ही पुस्तक का प्रतिपाद्य विषय स्पष्ट हो जाता है। प्रस्तुत पुस्तक द्वारा विद्वान लेखक ने आदिकाल से आरम्भ कर अब तक के आर्य-हिन्दू की जीवन…